The mission of The Revolution is to enlarge and enrich our platforms and portfolios for Society's Upliftment & Economic Development of individuals.
NGO के सही गलत की पहचान कैसे करे ?  This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

NGO के सही गलत की पहचान कैसे करे ?

आज, दुनियाभर में वर्ल्ड एनजीओ डे मनाया जा रहा है। आज, एनजीओ के कई चेहरे देखने को मिलते हैं। एक वो, जो सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लोगों की मदद कर रहे हैं। दूसरे वो एनजीओ, जो लोगों के मुद्दों, उनकी मांगों को लेकर, सरकार के रोल को, चेक एंड बैलेंस करने का काम करते हैं, फॉर एग्जांपल नर्मदा बचाओ आंदोलन में वॉलंटियर्स का काँट्रिब्यूशन। एनजीओ का एक और टाइप भी है, वो ऐसे एनजीओ हैं, जो लालच के चलते न तो सरकार के खिलाफ काम करते हैं, और न उनके फेवर में। उनका मेन मोटिव सिर्फ अपना प्रॉफिट बनाना है, बाकि किसी से कोई लेना-देना नहीं। और एनजीओ की यही वो कैटेगरी है, जो देश को खोखला कर रही है। एनजीओ की इंपॉरटेंस और इनके वॉलंटियरों को सम्मान देने के लिए हर साल, 27 फरवरी को वर्ल्ड एनजीओ डे मनाया जाता है, जो आज 89 से ज्यादा देशों में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को मनाने का विचार, साल 2009 में आया था, हालांकि यह दिन, पहली बार 27 फरवरी, 2014 को मनाया गया था। एनजीओ है क्या। यह एक नॉन प्रॉफिट आग्रेनाइजेशन है, जिसका इतिहास काफी पुराना है, लेकिन आज भी दुनिया को ngo की जरूरत है। यह एक सिविल पार्टनरशिप है, जिसमें ऑर्डिनरी नागरिक एक मिशन और विजन को सपोर्ट करने के लिए एक साथ आते हैं। अब अगर इनकी फंडिंग की बात करें, तो इन्हें कोई इंडिविजुअल या कोई कंपनी भी फंड दे सकती है, इसके अलावा ये गवर्नमेंट और विदेशी फंडिंग भी ऑब्टेन कर सकते हैं।

NGO के सही गलत की पहचान कैसे करे ?  This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani
NGO के सही गलत की पहचान कैसे करे ?  This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

आज दुनियाभर में तकरीबन 10 million एनजीओ हैं। यह डाटा ग्लोबल जर्नल का है। भारत में एनजीओ के इतिहास की बात करें, तो 19th century के second half में कई नॉन प्रॉफिट आग्रेनाइजेशन उभरीं है। फ्रेंड-इन-नीड सोसाइटी, प्रार्थना समाज, और आर्य समाज जैसे कई संगठनों के बारे में आपने भी सुना-पढ़ा होगा। उस समय इन नॉन प्रॉफिट संगठनों के लीगल स्टेटस की पहचान के लिए, साल 1860 में Societies Registration Act पास किया गया। भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार के एनजीओ हैं, पहला ट्रस्ट, दूसरा सोसायटी और तीसरी सेक्शन एट कंपनियां, हैं। एनजीओ का सबसे पुराना टाइप- ट्रस्ट है, जो पब्लिक और प्राइवेट हो सकता है। सोसाइटीज- राज्य और राष्ट्र स्तरीय होती हैं, जो सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंडर आती है। इसके अलावा सेक्शन 8 कंपनियां, कंपनी एक्ट 2013 के तहत आती हैं, जो non profit organization के तौर पर रजिस्टर होती हैं, जैसे रिलायंस, टाटा और इन्फोसिस फाउंडेशन। पिछले कुछ सालों में, कई संगठन, एनजीओ की आड़ में, फाइनेंशियल फ्रॉड, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, और एंटी नेशनल एक्टिविटीज में इन्वोल्व पाए गए हैं। यह दावा भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों का है। उनका मानना है कि कुछ एनजीओ, आईएसआई जैसे संगठनों से जुड़े हैं, जिसके चलते कुछ एक एनजीओ के फोरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत उनका लाइसेंस रद्द कर दिया था। सेंट्रल गवर्नमेंट के अनुसार कानून का उल्लंघन के लिए साल 2019 और 2021 के बीच सरकार ने 1,800 से ज्यादा एनजीओ का एफसीआरए (FCRA) लाइसेंस रद्द कर दिया था।

माना कि कई एनजीओ की फंडिंग बंद की गई है, लेकिन अब भी, सेबी के अंडर रजिस्टर कई ट्रस्ट, इक्विटी इंन्वेस्टमेंट के जरिए क्रप्शन में शामिल हैं। इतना ही नहीं, वेंचर कैपिटल के जरिए बड़े-बड़े बिजनेसमैन का अपने ही ट्रस्ट् से डिफरेंट प्रोजेक्ट व स्टार्टअप में इन्वेस्ट करना, सरकार और समाज दोनों के साथ धोखा है। आखिर क्या कारण है कि नीति आयोग, आरबीआई, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया जैसी कई गर्वनमेंट ऑग्रेनाइजेशन, अब भी इस सैक्टर में मौजूद लूपहोल्ज को ट्रैक नहीं कर पा रही है? एक एनजीओ के फाइनांशियल मामलों की निगरानी के लिए, ministry of home affairs और finance ministry में बेहतर कोओर्डिनेशन की जरूरत है। एनजीओ के लिए सख्त कानून बनाए जाएं, वरना ऐसा न हो, की आने वाले टाइम में, एनजीओ- क्राइम और फ्रॉड का synonym बन जाएं। हालांकि आज, विश्व एनजीओ दिवस पर, द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी सभी वॉलंटियर्स को सलाम करता है। भारत में, 3.4 मिलियन एनजीओ हैं, यानी 400 लोगों पर लगभग एक एनजीओ। गवर्नमेंट ने Foreign Currency Regulation Act 2010 में कुछ बदलाव किए, जिसके अनुसार पॉलिटिशियन और न्यूज एडिटर जैसे कुछ लोग फोरेन फंडिंग नहीं ले सकते। लेकिन इसकी वजह से foreign funding और development कमजोर हो रहा है। भारत का दूसरों देशों के साथ रिसोर्सेज और आइडिया शेयर करना, देश की ग्रोथ के लिए जरूरी है, इसलिए एनजीओ के लिए विदेशी डेवलपमेंट सप्पोर्ट को डिस्करेज नहीं करना चाहिए, एटलीस्ट जब तक उस एनजीओ के इल्लीगल काम में इन्वॉल्व होने के कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिल जाते। एक और कदम, यह हो सकता है कि एनजीओ के इनकम और एक्सपेंडिचर को, पब्लिक scrutiny यानी सार्वजनिक जांच के लिए ओपन रखा जाए।